AI से बनी कला का कॉपीराइट किसका? डेवलपर का, AI का, या डेटा का? जानें AI कला के स्वामित्व पर बहस और क्या AI को कलाकार माना जा सकता है।

AI कला का मालिक कौन? चौंकाने वाला सच: डेवलपर, डेटा या खुद AI?

AI से बनी कला का कॉपीराइट किसका? डेवलपर का, AI का, या डेटा का? जानें AI कला के स्वामित्व पर बहस और क्या AI को कलाकार माना जा सकता है।

क्या आपने कभी सोचा है?

“अगर एक मशीन आपकी कल्पना की दुनिया में रंग भरती है, तो उसके बनाए आर्ट का सही हकदार कौन है?”

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब सिर्फ टूल नहीं, बल्कि खुद एक कलाकार बनकर उभरा है। लेकिन सवाल उठता है—क्या AI को ‘कलाकार’ या ‘लेखक’ का दर्जा दिया जा सकता है? और सबसे बड़ी बहस, AI द्वारा बनाए गए आर्ट का कॉपीराइट किसका?

AI कॉपीराइट और स्वामित्व: मुद्दे की जड़ क्या है?

 कॉपीराइट—मूल धारणा

कॉपीराइट कानून आमतौर पर मानव रचनात्मकता को ही सुरक्षा देता है—यानी जो इंसान ने बनाया है।
AI अगर बिना मानवीय दखल के कोई आर्ट बनाता है, तो उस पर कॉपीराइट नहीं बनता; ऐसा आर्ट पब्लिक डोमेन में रहता है।

 AI-generated Art का मालिक कौन?

 मुख्य दावेदार

डेवलपर (Developer): जो AI सिस्टम और प्रोग्राम तैयार करता है

यूजर: जो AI को निर्देश देकर आउटपुट बनवाता है

AI खुद: क्या यह संभव है?

भारत का नजरिया

भारतीय कॉपीराइट कानून (Copyright Act, 1957) के अनुसार, लेखक वही हो सकता है जो “असली रचना” करे यानी ‘व्यक्ति’।
AI को अब तक कानूनी तौर पर लेखक या कलाकार नहीं माना गया है।
अगर AI टूल को यूजर ने टीम/कंपनी के लिए या खुद प्रयोग किया, तो ‘मिनिमम क्रिएटिविटी’ के आधार पर इंसान का सहयोग कॉपीराइट का हकदार बन सकता है।

क्या AI “कलाकार” या “लेखक” बन सकता है?

क़ानूनों में ‘लेखक’ की परिभाषा इंसान या कंपनी (ब्यूरोक्रेटिक पर्सन) तक सीमित है, AI को ‘कानूनी अस्तित्व’ नहीं मिली है।

कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि कानून में लचीलापन होने की वजह से AI को ‘क्लासिक’ लेखक की तरह मान्यता दी जा सकती है, लेकिन अभी प्रैक्टिस में कोई ठोस उदाहरण नहीं।

चीन व कनाडा में, कोर्ट ने ऐसे मामलों में यूजर की रचनात्मक भागीदारी को आधार मानकर कॉपीराइट दिया।

रियल लाइफ उदाहरण

2020 में भारत में ‘RAGHAV’ नामक AI द्वारा बनाई गई पेंटिंग का केस चर्चित रहा। पहले कापीराइट मिला, फिर बाद में AI के ‘कानूनी दर्जे’ पर सवाल उठने लगे और स्थिति असमंजस में रही।

अमेरिका में, केवल इंसानी रचनात्मक सहयोग को ही कॉपीराइट मिला, AI द्वारा स्वतः बनाए गए आउटपुट को नहीं।

डाटा ट्रेनिंग और कॉपीराइट

AI को ट्रेनिंग देने के लिए जिन चित्रों, गानों, या टेक्स्ट का उपयोग किया गया है, उनके असली मालिकों के हक की बहस चल रही है।

अगर AI-सिस्टम दूसरों की शैली या संरचना की नकल करता है तो ‘पारंपरिक’ कलाकारों के अधिकारों पर असर पड़ सकता है और कोर्ट केस हो सकते हैं।

इतनी जटिलता क्यों?

AI के पास कानूनी पहचान नहीं: AI को इंसान, कंपनी या संस्थान के समान ‘कानूनी अस्तित्व’ नहीं मिला है।

मानवीय रचनात्मकता जरूरी: “मिनिमल क्रिएटिविटी” न्यायालयों का पैमाना है।

कानूनों की स्पस्टता की कमी: साफ-साफ दिशा/नियम नहीं हैं—देश दर देश मतभेद।

न्यायिक उदाहरणों का टोटा: भारत व अन्य देश अभी “केस-बाय-केस” दृष्टिकोण अपनाते हैं।

संक्षिप्त निष्कर्ष—क्या आगे संभव?

AI को ‘कलाकार’ मानना फिलहाल संभव नहीं, न ही उसका कॉपीराइट पाना, जब तक इंसानी दखल न हो।

अगर AI-आर्ट में यूजर या डेवलपर की रचनात्मक भूमिका है, तो उनके पास कॉपीराइट के मजबूत दावे हो सकते हैं।

कानून की भाषा और टेक्नोलॉजी के बदलाव का तालमेल आसान नहीं—अभी बहुत सुधार और स्पष्टता की जरूरत।

आपको क्या करना चाहिए?

यदि आप AI generated artworks का कमर्शियल उपयोग या प्रचार-प्रसार करना चाहें, तो पहले इंसानी क्रिएटिविटी और सहयोग दर्ज करें, जिससे कॉपीराइट का दावा मजबूत हो सके।

अपना आर्टवर्क या डेटा यूज के लिए लाइसेंसिंग और अनुमति जरूर देखें।

विवाद की स्थिति या डाउट में विशेषज्ञ सलाह लें।

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